आज हम बात करते हैं मुग़ल बादशाह बाबर की। अगर बात करें वैलेंटाइन डे की तो इसके बारे में हर किसी को पता होगा| जाने माने अर्थशास्त्री माल्थस भी इसी दिन पैदा हुए थे। सबके दिलों पर राज करने वाली मधुबाला भी इसी दिन पैदा हुई थीं।
उस के दिन के बारे में इतना तो सब जानते हैं मगर उसी दिन ही एक ऐसा शख्स भी पैदा हुआ था जो काफी विवादित रहता है। इनके विवाद में रहने का कारण ये है कि भारत में एक समुदाय के लोग इन्हें हमलावर या आक्रमणकारी समझते हैं और भारत के अंदर जो सबसे बड़ा विवाद हैं अयोध्या का बाबरी वाला उसके लिए इन्हें ही जिम्मेदार माना जाता है ।
इनके बारे में लोग इतना ही जानते हैं लेकिन इनकी शख्सियत सिर्फ यही नहीं थी बल्कि बहुत से रंग अपने में समेटे हुई थी । जी हाँ जिनकी हम बात कर रहे हैं वो भारत के अंदर मुग़ल साम्राज्य की नींव रखने वाले वही थे।
उनका पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था और वो 14 फरबरी 1483 को अंदिजान में जन्मे थे जो बर्तमान में उज्बेकिस्तान का भाग है । अब वह हमलावर थे या योद्धा इस बारे में लोगों को कोई खास जानकारी नहीं है ही बस वो सुनी-सुनाई बाते ही करते हैं ।
इनका नाम अकबर और शाहजहाँ से भी ऊपर लिया जाता है और इस बारे में मशहूर इतिहासकार हरबंस मुखिया का कहना है कि “ उनका व्यक्तित्व संस्कृति, साहसिक उतार-चढ़ाव और सैन्य प्रतिभा जैसी ख़ूबियों से भरा हुआ था.”।
हरबंस मुखिया का तो यहाँ तक कहना है कि अगर भारत में उनका आना न होता तो भारतीय संस्कृति का जो रंग है वो फीका ही रहता । मुखिया कहते हैं कि भारत के अंदर भाषा,संगीत,चित्रकला,वास्तुकला ,भोजन आदि तमाम चीजों में जो मुघलों का योगदान रहा है वो नकारा नहीं जा सकता है । आज हम आपको उनके बारे में ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं –
1- हरबंस मुखिया का इस बाबर के नाम से मस्जिद को लेकर विवाद के बारे में कहना है कि अयोध्या की विवादित मस्जिद को उन्होंने बनवाया था ये एक गलतफहमी है । वो कहते हैं कि इस बाबरी मस्जिद का जिक्र बाबर के जिंदा रहने तक या उनके मरने के बाद कई दशकों तक नहीं मिलता है ।
हालाँकि 1526 में जब उन्होंने पानीपत का युद्ध जीता था तो इसका जश्न जाहिर करते हुए पानीपत में जरुर एक मस्जिद तामीर कराई थी जो आज भी मौजूद है।
2-वह इतिहास की दुनिया में ऐसे इकलौते शासक थे जिसने अपनी आत्मकथा स्वयं लिखी । इस आत्मकथा का नाम बाबरनामा है जीमे बाबर की जीवन की नाकामियां और कामयाबियां दर्ज हैं । मुखिया कहते हैं कि बाबर ऐसा सोचता था कि कभी हार मत मानो । बाबर को समरकंद (बर्तमान उज्बेकिस्तान) जीतने का बहुत जूनून था ।
3-बाबर ने समरकंद पर तीन पर फ़तेह हासिल की लेकिन तीनों बार उनको शहर अपने हाथ से गंवाना पड़ा । अगर बाबर वहां का राजा बना रहता तो शायद वो कभी भी भारत और काबुल पर हमला करने की न सोचता ।
2-बाबर इतिहास की दुनिया में ऐसे इकलौते शासक थे जिसने अपनी आत्मकथा स्वयं लिखी । इस आत्मकथा का नाम बाबरनामा है जीमे बाबर की जीवन की नाकामियां और कामयाबियां दर्ज हैं । मुखिया कहते हैं कि बाबर ऐसा सोचता था कि कभी हार मत मानो । बाबर को समरकंद (बर्तमान उज्बेकिस्तान) जीतने का बहुत जूनून था ।
3-बाबर ने समरकंद पर तीन पर फ़तेह हासिल की लेकिन तीनों बार उनको शहर अपने हाथ से गंवाना पड़ा । अगर बाबर वहां का राजा बना रहता तो शायद वो कभी भी भारत और काबुल पर हमला करने की न सोचता ।
6- प्रोफ़ेसर मुखिया कहते हैं कि तुर्क जुबान में कविता लिखने वाले दो ही बड़े नाम हुए हैं और उनमे से एक बाबर हैं |
7- बाबर के क्रूर दिखने की बहुत सी मिसालें हैं मगर उनके सरल और दयालू होने के भी बहुत से किस्से हैं । एक बार का जिक्र ऐसा है कि वो जंग की तैयारी में मशगूल थे कि तभी किसी ने उन्हें आकर खरबूज दिया । बाबर उस खरबूज को देखकर ख़ुशी से रो पड़े क्योकि कई साल हो गये थे जब से उन्होंने खरबूज नहीं देखा था ।
8- बाबर 12 साल की छोटी सी उम्र में ही राजा बना दिए गये थे और जब यो 47 साल में गुजरे तब तक लगातार युद्ध में ही लगे रहे । बाबर ने पारिवारिक जिम्मेदारियां भी बहुत ढंग से निभाई । उनकी माँ और नानी का बाबर पर बहुत गहरा प्रभाव था और उनकी बहन उन्हें एक आदर्श भाई मानती थी ।
9-बाबर के सबसे बड़े बेटे मुग़ल बादशाह हुंमायूं थे । हुंमायू बाबर को एक समर्पित पिता मानते थे । एक बार की बात है कि हुंमायूं काफी ज्यादा बीमार पड़ गये तब बाबर ने हुंमायू के शरीर के 3 गर्दिश किये और उनके लिए दुआ पढ़ी कि खुदा उन्हें ठीक कर दे और उसकी जगह चाहे तो उनकी जान ले ले । इसके बाद हुंमायू तो ठीक हो गये लेकिन बाबर बीमार रहने लगे और कुछ ही दिन में उनका इंतकाल हो गया ।
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