इलाहाबाद/गोरखपुर: हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में हो रहे लोकसभा उपचुनाव में बसपा और सपा के एक साथ आ जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हम आपको यह भी बता दें कि 23 साल बाद दोनों पार्टियां एक साथ आई हैं। यह गठबंधन बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकता है।
अगर 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को मिले वोट सपा कैंडिडेट को ट्रांसफर होते हैं तो बीजेपी दोनों सीटें हार सकती है। वहीं, अगर 2014 की मोदी लहर बरकरार रही तो यह मुमकिन नहीं होगा। दोनों सीटों पर 11 मार्च को वोट डाले जाएंगे। नतीजे 14 मार्च को आएंगे।
कैसा है फूलपुर लोकसभा का गणित?
– फूलपुर लोकसभा सीट में इलाहाबाद की 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें फूलपुर, इलाहाबाद उत्तरी, इलाहाबाद पश्चिमी, फाफामऊ
और सोरांव शामिल हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ये पांचों सीटें बीजेपी गठबंधन के पास थीं।
– वहीं, अगर सपा और बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो बीजपी पांच में से चार विधानसभाओं में पीछे रह जाती है। सिर्फ
इलाहाबाद उत्तरी सीट पर बीजेपी को बढ़त मिलती है। ये सीट सपा ने उस वक्त गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस को दे दी थी।
फूलपुर में सपा-बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो क्या होगा?
विधानसभा सीट | बीजेपी+ को
मिले वोट |
सपा+बसपा को
मिले वोट |
कौन आगे |
फूलपुर | 93,912 | 1,17,720 | सपा+बसपा |
फाफामऊ | 83,239 | 1,09,237 | सपा+बसपा |
इलाहाबाद पश्चिमी | 85,518 | 1,00,681 | सपा+बसपा |
सोरांव | 77,814 | 1,14,424 | सपा+बसपा |
इलाहाबाद उत्तरी | 89,191 | 23,388 | बीजेपी |
टोटल | 4,29,674 | 4,65,450 | सपा+बसपा |
2014 लोकसभा चुनाव की लहर कामय रही तो सपा-बसपा गठबंधन बीजेपी से पीछे रहेगा
लोकसभा सीट | बीजेपी को मिले वोट | सपा+बसपा को मिले वोट | कौन आगे |
फूलपुर | 5,03,564 | 4,17,093 | बीजेपी |
फूलपुर में इस बार कैसा है मुकाबला?
वोटिंग | 11 मार्च |
बीजेपी उम्मीदवार | कौशलेंद्र सिंह पटेल, वाराणसी के मेयर रह चुके हैं। |
सपा+बसपा का उम्मीदवार | नागेंद्र सिंह पटेल, सपा के मंडल अध्यक्ष हैं। |
निर्दलीय उम्मीदवार | अतीक अहमद, सपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं, जेल से चुनाव लड़ रहे हैं, सपा के वोट काट सकते हैं |
पिछली बार कौन जीता | केशव प्रसाद मौर्या, बीजेपी |
चुनाव नतीजे | 14 मार्च |
कैसा है गोरखपुर लोकसभा का गणित?
– गोरखपुर लोकसभा सीट में जिले की 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें गोरखपुर सदर, गोरखपुर रुरल, पिपराइच, कैम्पियरगंज और सहजनवा शामिल हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ये पांचों सीटें बीजेपी के पास थीं।
– वहीं, अगर सपा और बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो बीजपी पांच में से चार विधानसभाओं में पीछे रह जाती है। सिर्फ गोरखपुर सदर सीट पर बीजेपी को बढ़त मिलती है।
गोरखपुर में सपा-बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो क्या होगा?
विधानसभा सीट | बीजेपी+ को मिले वोट | सपा+बसपा को मिले वोट | कौन आगे |
गोखरपुर सदर | 1,22,221 | 85,788 | बीजेपी |
गोरखपुर रूरल | 83,686 | 1,09,373 | सपा+बसपा |
कैम्पियरगंज | 91,636 | 98,025 | सपा+बसपा |
पिपराइच | 82,739 | 1,20,961 | सपा+बसपा |
सहजनवा | 72,213 | 1,10,979 | सपा+बसपा |
टोटल | 4,52,495 | 5,25,126 | सपा+बसपा |
2014 लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा के वोट मिलाकर भी बीजेपी से कम?
लोकसभा सीट | बीजेपी को मिले वोट | सपा+बसपा को मिले वोट | कौन आगे |
गोरखपुर | 5,39,127 | 4,02,756 | बीजेपी |
गोरखपुर में इस बार कैसा है मुकाबला?
वोटिंग | 11 मार्च |
बीजेपी उम्मीदवार | उपेंद्र दत्त शुक्ल |
सपा+बसपा का उम्मीदवार | प्रवीण निषाद |
पिछली बार कौन जीता | योगी आदित्यनाथ, बीजेपी |
चुनाव नतीजे | 14 मार्च |
साथ आने के बाद भी संशय बरकरार
– बसपा और सपा के एक साथ आने से जहां इन दोनों दलों के नेताओंं की उम्मीदें जाग गई हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं में जोश नदारद है। इसका कारण बताया जा रहा है कि यह कांशीराम और मुलायम सिंह यादव वाला गठबंधन नहीं है, बल्कि अब हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है। इस समर्थन में संशय, झिझक और भय बरकार है जिसका फायदा दोनों ही सीटों पर बीजेपी को मिल सकता है।