नई दिल्ली: हम आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से होटल व रेस्टोरेंट में मिनरल वॉटर और पैकेज्ड फूड को उसकी एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया है जिसमे कहा गया है एमआरपी से अधिक कीमत वसूलना लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के तहत अपराध है, जिसके चलते 25000 रुपए का जुर्माना और जेल हो सकती है।
जस्टिस रोहिंटन नरीमन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह कानून होटल और रेस्टोरेंट पर लागू नहीं होगा, लिहाजा इसकी वजह से उन्हे अपराधी नहीं घोषित किया जा सकता है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से होटल व रेस्टोरेंट में मिनरल वॉटर और पैकेज्ड फूड को उसकी एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया है जिसमे कहा गया है एमआरपी से अधिक कीमत वसूलना लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के तहत अपराध है, जिसके चलते 25000 रुपए का जुर्माना और जेल हो सकती है। जस्टिस रोहिंटन नरीमन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह कानून होटल और रेस्टोरेंट पर लागू नहीं होगा, लिहाजा इसकी वजह से उन्हे अपराधी नहीं घोषित किया जा सकता है।
सरकार ने दायर की थी याचिका
आपको बता दें कि कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय ने एक शपथपत्र दायर करके कहा था कि एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचने पर टैक्स की चोरी हो सकती है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। सरकार का कहना है कि अगर एमआरपी से अधिक कीमत पर सामान बेचा जाता है तो उसपर सरकार को टैक्स नहीं मिलता है, जिससे राजस्व की हानि होती है। सरकार का कहना है कि पानी की बोतल होटल कॉस्ट प्राइस पर खरीदता है और उसे एमआरपी पर बेचना चाहिए, लेकिन इसे तय कीमत से कहीं अधिक कीमत पर बेचा जाता है, जिससे काफी राजस्व की हानि होती है।
होटल एसोसिएशन के पक्ष में दिया फैसला
गौरतलब है कि पानी की बोतल की बिक्री का मुद्दा 2003 में काफी बहस का मुद्दा बना था, जब होटल एसोसिएशन ने इससे जुड़े कानून को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 2007 में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि होटल और रेस्टोरेंट पानी की बोदल एमआरपी से अधिक कीमत पर नहीं बेच सकते हैं। जिसके बाद एसोसिएशन ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को होटल एसोसिएशन के पक्ष में फैसला सुनाया।