तो चलिए अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की| हम आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो अपनी ही बात से पलटी खा जाते हैं जिसका कोई भरोसा नहीं है|
वहीं जनता के मन का भी कोई भरोसा नहीं कि कब उसका मन किस पार्टी की तरफ हो जाए और कब किसे वो जिताकर सत्ता में ला दे | कुलमिलाकर राजनीती का मामला बड़ा पेंचीदा सा हो गया है |
इस समय भारत के अंदर बहुत से राज्यों में सत्ता में भाजपा है और उन राज्यों की फेहरिस्त में से एक राज्य आता है यूपी जहाँ पर भी सत्ता में भाजपा में ही है | इस प्रदेश में भाजपा की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में देकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया है |
एक तरफ जहाँ देश की कमान मोदी के हाथ में है तो यूपी में योगी सम्हाल रहे हैं और दोनों लोगों में एक बात कॉमन है कि दोनों लोग ऐसे ऐसे फैसले अमल में लाते है जिनके लागू होते ही जनता हैरान रह जाती है |
योगी ने लिया ऐसा फैसला कि जा सकती है कुर्सी
जहाँ एक ओर देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के दौर-ए-हाजिर के सबसे बड़े नेता मोदी ने नोट्बंदी और GST जैसे फैसले देश में लाकर जनता को चौंका दिया था और उनकी परेशानी बढ़ा दी थी वहीँ यूपी के मुख्यमंत्री योगी भी बहुत जल्दी जल्दी ऐसे ही फैसले लेने की वजह से सुर्ख़ियों में रहते हैं |
ऐसे ही योगी ने एक और नया फैसला लिया है जो बेहद ही चौंकाने वाला है | योगी को खुद से इस फैसले को लागू करते हुए अंदाजा होगा कि उनकी कुर्सी इस फैसले की वजह से खतरे में आ सकती है |
योगी जायेंगे नॉएडा
योगी का जो बैकग्राउंड है वो एक दबंग छवि वाले नेता का है | अभी ऐसी खबरें आ रही है कि योगी जल्द ही नॉएडा जायेंगे | आपको बता दें कि नॉएडा ने बहुत तेजी से बिकास किया है और इसे सबसे बड़ा अर्बन सिटी माना जाता है |
ऐसा कहा जाता है कि यूपी का कोई भी मुख्यमंत्री नॉएडा जाने का साहस नहीं दिखा पता है क्योकि ऐसा कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री यहाँ पर जाता है उसकी कुर्सी छिन जाती है | इस बात को लोग अन्धविश्वास भी करार देते हैं लेकिन किसी भी मुख्यमंत्री की यहाँ जाने की हिम्मत नहीं हुई |
इतिहास इस बात को सही करार देता है
अगर हम इस मामले में इतिहास उठाकर देखें तो इस बात को सही पाते हैं कि यहाँ पर जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है | मगर योगी शायर इस अन्धविश्वास के मिथक को तोड़ने जा रहे हैं | 25 दिसंबर को वो नॉएडा में रहेंगे |
अखिलेश यादव ने यहाँ मुख्यमंत्री रहने के दौरान जाने से किनारा किया था | इस बात के सही होने का उदाहरण जून 1988 में मिलता है जब मुख्यमंत्री वीर बहादुर को यहाँ से लौटते ही इस्तीफ़ा देना पड़ा था और इसके बाद कई सालों तक कोई मुख्यमंत्री यहाँ नहीं गया |
मायावती ने जरुर मुख्यमंत्री रहते हुए 4 बार यहाँ का दौरा किया था लेकिन जब विधानसभा के 2012 के चुनाव हुए तो मायावती को हारना पड़ा | मायावती की हार पर यही चर्चा थी कि वो नॉएडा गयी थी इसलिए हार गयीं |
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