हम आपको बता दें कि हमारे देश के मीडिया में अब मूल्य और सिद्धांतों की कमी साफ नजर आने लगी है. हम आपको यह भी बता दें कि इस दौर में भारतीय मीडिया पैसों के बोझ के नीचे पूरी तरह से दब गया है.
इस कड़ी में ज़ी न्यूज़ मोदी सरकार के हाथों पूरी तरह बिक चुका है. यह कहना गलत नहीं होगा कि इस वक्त जी न्यूज़ सिर्फ और सिर्फ बीजेपी के लिए ही चल रहा है.
1. गोदी मीडिया की लिस्ट में सबसे ऊपर है ज़ी न्यूज़
गोदी मीडिया की लिस्ट में सबसे ऊपर आने वाले जीव न्यूज़ की फर्जी खबरें चलाने के चलते सोशल मीडिया पर कई बार किरकिरी हो चुकी हैं। गौरतलब है कि जी न्यूज के एडिटर इन चीफ जो कि मोदी सरकार के बहुत बड़े समर्थक हैं और प्रधानमंत्री मोदी के खास करीबी माने जाते हैं पर गंभीर आरोप लग चुके हैं।
2. चैनल पर लग चुके कई गंभीर आरोप
सुधीर चौधरी चैनल पर जेएसपीएल के खिलाफ नकरात्मक खबरें रोकने की एवज में 100 करोड़ की मांग करने के मामले में जेल जा चुके हैं। उनपर ये आरोप उद्योगपति और कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल ने एक स्टिंग के बाद लगाया था। अब Zee News के ही एक और पत्रकार भी इसी तरह के आरोपों में घिर गए हैं।
3. पैसे मांगने के आरोप में फंसे ज़ी न्यूज़ के संपादक
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने ज़ी न्यूज़ के पंजाब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के संपादक दिनेश शर्मा पर उनसे 20 करोड़ों रुपए मांगने का आरोप लगाया है। दरअसल अकाली दल के नेता का कहना है कि दिनेश शर्मा ने पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान उनसे 20 करोड़ रूपये की मांग की थी।
4. इंकार करने पर दी दुष्प्रचार करने की धमकी
जब उन्होंने दिनेश शर्मा को यह पैसे देने से इंकार कर दिया तो चैनल ने उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने की साजिश रची। जिसके चलते वह चैनल पर मजीठिया के खिलाफ नकरात्मक खबरें दिखा रहे थे। आपको बता दें कि 2 अगस्त को विक्रम सिंह मजीठिया ने जी न्यूज पर यह गंभीर आरोप लगाए थे और 3 अगस्त की सुबह ही जी न्यूज़ पर उनके खिलाफ ऐसी खबरें चलाई गई। जिसमें बताया जा रहा था कि मजीठिया ने अपना आपा खो दिया।
निष्कर्ष:
ज़ी न्यूज़ की विश्वसनीयता का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि चैनल लाइव मीडिया का काम छोड़ वसूली का काम शुरू कर लिया है। जिसके चलते वह किसी भी कॉर्पोरेट या नेता को ब्लैकमेल कर उनसे पैसे की मांग करने लगते हैं।